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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

राम रावणी दोष गुणों का

 

राम रावणी दोष गुणों का

राम रावणी दोष गुणों का,मन में रहे निवास

छोड़ें दुर्गुण और गुणों का, करते रहें विकास।।

 

रामचरितमानस बतलाता,मन को श्रेष्ठ बनाएं

वध करना है अहंकार का, उर में राम बसायें।।

मन में जो रावण पलता है, उसका करें विनाश

छोड़ें दुर्गुण और गुणों का, करते रहें विकास।।

 

स्वार्थ लोभ मद मोह क्रोध सब रावणी दुर्गुण हैं

घृणा द्वेष भय मत्सर इर्ष्या, ये सारे अवगुण हैं।।

सेवाभाव सदाचारी मन, बिखराते दिव्य प्रकाश

छोड़ें दुर्गुण और गुणों का, करते रहें विकास।।

 

अहंकार के रावण ने, मन को ऐसा भड़काया

अपने भी हो गए वीराने,लेकिन समझ न आया।।

दम्भी खुद को ज्ञानी समझा,कुल का किया विनाश

छोड़ें दुर्गुण और गुणों का, करते रहें विकास।।

 

कर्मों का फल उसे पता था,पर कुकर्म ना छोड़ा

अधर्म अनीति अन्यायों से, उसने मुंह न मोड़ा।।

कर्मों का फल मिलता ही है, मिलता है भवपाश

छोड़ें दुर्गुण और गुणों का, करते रहें विकास।।

-उमेश यादव

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महावीर बजरंग बली

 

महावीर बजरंग बली

महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।

दुष्टदलन,दुःख-कष्ट हरण,श्री हनुमान का शुभ वंदन है।।

 

दुष्टों के प्रभु सदा काल हैं, महाकाल के अवतारी हैं।

संतों के रक्षक हैं हरपल, भक्तों के ह्रदय बिहारी हैं।।

जहाँ कहीं भी अन्धकार है,सूर्य समान पथ द्योतक हैं।

बल बुद्धि विद्या के सागर हैं,आप ही संकटमोचक हैं।।

हर संकट के समाधान हैं,शुभ कार्य को हरि चन्दन हैं।

महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।।

 

मनुजता जब भी फंसी भँवर में,हनुमन ने हमें उबारा है।

भ्रम व भय से मुक्ति दिलाया,साहस दे हमें संवारा है।।

सेवा धर्म ही श्रेष्ठ धर्म है, हनुमत ने जीकर सिखलाया।।

सेवा से श्री राम प्रसन्न हो, जाते हैं जग को बतलाया।

प्रभुसेवक केसरीनंदन का,पवनसुत का अभिवंदन है।

महावीर बजरंग बली, श्री राम दूत का अभिनन्दन है।।

 

नयी विपदा आई जग में, आप ही अब उपचार करो।

अतिसूक्ष्म है असुर आज का, प्रभु इसका संहार करो।।

संकट में है प्राण मनुज के, संजीवन दे उपचार करो।

अभयदान दो भक्तों को प्रभु,हम सब पर उपकार करो।।

आस और विश्वास कपिवर, आपका ही चरण वंदन है।

महावीर बजरंग बली, श्रीराम दूत का अभिनन्दन है।।

 

महायुद्ध से त्रसित विश्व है,अंजनी पुत्र कल्याण करो।

आतताइयों को दण्डित कर,मानवता का उत्थान करो।।

रोको जग को महायुद्ध से, प्रभु जग पर उपकार करो।

विपदाओं से ग्रसित विश्व है, हे कपीश उद्धार करो।।

केसरीनंदन वायुपुत्र के, जन्मदिवस पर अभिनन्दन है।

दुष्टदलन,दुःख-कष्ट हरण,श्री हनुमान का शुभ वंदन है।।

-उमेश यादव

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जय बोलें श्रीराम की

 

*जय बोलें श्रीराम की*

आओ सब मिल महिमा गायें,जननायक श्रीराम की

राम तत्त्व मन में विकसायें, जय बोलें श्रीराम की।।

 

राज पाट को छोड़ा प्रभु ने,कानन को स्वीकार किया

सुख सुविधा भी छोड़ी उनने,काँटों को अंगीकार किया।।

पितृ आज्ञा व भ्रात प्रेम से,अपना हक भी त्यागा था

लक्ष्मण ने सबकुछ छोड़ा था,पूर्ण समय ही जागा था।।।

उनके आदर्शों पर चलकर, कर लें प्रभु का काम जी

राम तत्त्व मन में विकसायें, जय बोलें श्रीराम की।।

 

राजपुत्र से सन्यासी बन,कंद मूल फल खाया था

दीन दुखी वंचित पतितों को,अपने गले लगाया था।।

ऋषि मुनियों की सेवा कर,दुष्टों को मार भगाया था

ताड़का को तो दंड दिया,जूठन शबरी का खाया था।।

वानर रीछ बनवासी जन से, बनी सेना श्रीराम की

राम तत्त्व मन में विकसायें, जय बोलें श्रीराम की।।

 

मित्र धर्म की निष्ठा को,सुग्रीव के साथ निभाया था

बालि बध कर श्रीराम ने,नारी को न्याय दिलाया था।।

सागर पर सेतु बंधवाकर लंका तक सेना पहुचाया 

संगठन शक्ति से ही राम ने,असंभव संभव कर पाया।।

अहर्निश लक्ष्य तक बढ़े चले,न चिंता थी विश्राम की

राम तत्त्व मन में विकसायें, जय बोलें श्रीराम की।।

 

रावण सा अत्याचारी भी, सत्य के आगे हारा था

अन्यायी का साथ निभाने, वाले को भी मारा था।।

सत्य धर्म की विजय पताका, लंका में फहराया था

संत ह्रदय श्रीराम भक्त,विभीषण को राज दिलाया था।।

स्वर्णमयी लंका में भी तब, जय गूंजा श्रीराम की

राम तत्त्व मन में विकसायें, जय बोलें श्रीराम की।।

  -उमेश यादव, 9258363333

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शनिवार, 30 सितंबर 2023

गुल्ली डंडा

 

*गुल्ली डंडा*

मचल रहा मन बहुत आज हम चलें गाँव की ओर

उठा हाथ में गुल्ली डंडे, खूब मचाएं शोर।।

 

कितना मनभावन होता है, बच्चों के संग खेलें

लकड़ी के गुल्ली डंडा को, निज हाथों में लेलें।।

बच्चों के संग निकलें बाहर,हो जाए जब भोर

उठा हाथ में गुल्ली डंडे,  खूब मचाएं शोर।।

 

डंडे से गड्ढे हम खोदें, गुल्ली वहां बिठाएं

गुल्ली को उछाल डंडे से, दूर मार ले जाएँ।। 

गुल्ली उड़े हवा में जाए जहां क्षेत्र का छोर

उठा हाथ में गिल्ली डंडे, खूब मचाएं शोर।।

 

जितना दुर जाये गुल्ली,उसको नापा जाता

गुल्ली पकड़ा जाए तो खिलाड़ी बाहर जाता।।

छुट जाए जब हाथ से गिल्ली, मचे जोर की शोर

उठा हाथ में गिल्ली डंडे, खूब मचाएं शोर।।

 

कौन है जीता कौन है हारा,हल्ला है मच जाता।  

बात बात में झगडा होता, सुलह शीघ्र हो जाता।।

पदने पदाने का मचता जब, आपस में है जोर

उठा हाथ में गिल्ली डंडे, खूब मचाएं शोर।।

 

बिन पैसे का खेल है प्यारा,कोई बही ना खाता

बच्चों सा उर अपना भी तो पावन है हो जाता।।

ललक जगी खेलें बच्चों संग मन बन गया किशोर।

उठा हाथ में गिल्ली डंडे, खूब मचाएं शोर।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार,9258363333

गुरुवार, 30 मार्च 2023

आदरणीय डॉ0 चिन्मय पण्ड्या जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनायें | Janmd...

जन्मदिवस परम आदरणीय चिन्मय भैयाजी

 

जन्मदिवस शुभ पावन, दिव्यानुभूति कराया।

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।

 

पूर्ण ज्ञानमय चिन्मय,

गुरु कार्य में तन्मय।

व्यक्तिव साधनामय है,

अस्तित्व सदा मंगलमय।।

गूँजे कर्ण स्वर तेरे, सबको झकझोर उठाया।  

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।    

   

था खुमार में जीवन,

जकड़ा था आलस ने तन। 

सुबह बाद भी सोये,

हम देख रहे थे दु:स्वप्न। 

निशा में सोया था मन,निंद्रा से हमें जगाया।

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।    

 

हैं क्रांतिदूत गुरुवर के,

हैं सुर माता के स्वर के।

धर्म ज्ञान सिखलाया,

सद्चिन्तन सूत्र बताया।।

गहन आत्म विद्या का, सुधारस पान कराया। 

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।    

 

परिजन ने पीड़ा पायी,

प्रकटे बन गुरु वरदायी। 

सब संताप मिटाए,

फिर क्षण आया सुखदाई।।

शैल प्रणव के प्यारे, गुरुवर का मान बढ़ाया। 

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।    

 

माथे पर तिलक लगाया,

उर में शौर्य जगाया।

दिया पाथेय सभी को,

विजयरथ हमें चढ़ाया।।

क्रांति के हवन कुंडों में,प्रतिभा का हवि कराया।

ओजस्वी वाणी ने हम,सबको चैतन्य कराया।।    

-उमेश यादव

सोमवार, 20 मार्च 2023

जगत जननी माँ गायत्री

जगत जननी माँ गायत्री

जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।
ज्ञान भक्ति सत्कर्म सीखा दो,मानव का उत्थान करो।।

हंसवाहिनी हे जगमाता, नीर क्षीर का ज्ञान दो।
प्राणदायिनी मातु भगवती, शक्ति भक्ति दो, प्राण दो।।
हीं श्रीं क्लीं त्रिपदा माता, बुद्धि विद्या दान करो।
जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।

सकल सृष्टि के आप नियंत्रक, शक्तिरूपिणी आप हो।
जड़ प्रकृति में आप विराजे, सावित्री प्रतिरुप हो।।
चक्र मध्य से सृष्टि करो माँ, नया जगत निर्माण करो।
जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।

ऋग यजु साम अथर्व ज्ञान,सब जीवों में संचार करो।
वेदों की जननी हे माते, सब में श्रेष्ठ विचार भरो।।
अंत करो अज्ञान का माते, सद्विवेक सद्ज्ञान भरो।
जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।

ईश्वर की संकल्प शक्ति माँ, प्राणमयि चैतन्य हो।
पंचभूत त्रिगुणा स्वरुप तुम, ब्रह्मा विष्णु अनन्य हो।।
तुम महेश हो महाशक्ति हो, जीवन मुक्ति प्रदान करो।
जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।

अक्षर चौबीस महामंत्र का, नित्य जाप जो करते है।
सद्गुण बढ़ जाते हैं उनके, पाप ताप सब डरते हैं।।
गायत्री ही कामधेनु है, श्रद्धा सहित प्रणाम करो।
जगत जननी माँ गायत्री,जन जन का कल्याण करो।
उमेश यादव

माँ गायत्री कृपा करो अब

माँ गायत्री कृपा करो अब

हे जगजननी,जग कल्याणी, दुःख कष्टों को दूर करो

कृपा करो हे माँ गायत्री, निज पुत्रों की पीर हरो।।

 

कर्त्तव्य मार्ग पर चल पायें माँ,पग में शक्ति हमें देना

ज्ञान और वैराग्य दो माते, अपनी भक्ति हमें देना।।

हे जगदम्बे प्रखर प्राण दो,ऊर में श्रद्धा  भाव भरो

कृपा करो हे माँ गायत्री, निज पुत्रों की पीर हरो।।

 

प्रज्ञामाता प्रखर बुद्धि दो,चित्त वृति की शुद्धि हमें दो

प्राणदायिनी सकल सृष्टि की,अष्टसिद्ध नवनिध हमें दो।।

सत्य  सनातन सतोगुणी माँ, शरण गहो माँ दया करो

कृपा करो हे माँ गायत्री, निज पुत्रों की पीर हरो।।

 

शक्तिस्वरूपा हे जगदम्बे, जन जन का कल्याण करो

तुम्हीं आसरा सकल भुवन के, जन मन का उत्थान करो।।

दया करो हे विश्व की माता, सबकी विपदा दूर करो     

कृपा करो हे माँ गायत्री, निज पुत्रों की पीर हरो।।

 

विलख रहे हैं पुत्र तुम्हारे,आर्त भाव माँ तुम्हें पुकारे

कष्ट हरो करुणामयी माते, शरणागत हैं पूत तुम्हारे।।

भगवती माता संबल दो अब, जीवन में आनंद भरो

कृपा करो हे माँ गायत्री, निज पुत्रों की पीर हरो।।

उमेश यादव