बसंत
पर्व
गुरुवर का शुभ जन्मदिवस है,
शुभ मंगल कर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को,
माँ भारती वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।।
ठिठुरन बीत गया है अब तो,
मधुर
मास है आया।
प्रकृति ने की नव श्रृंगार,
सर्वत्र
उल्लास है छाया।।
युग-निर्माण
को आतुर हैं हम, शक्ति सुधा भर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को,
माँ भारती वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।
पक्षियों का कलरव कहता है,नया समय अब आया।
पतझर बीता, पुष्प खिले, कोयल ने तान सुनाया।।
खुशियों की चल पड़े बयार अब,जग में सुख भर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ भारती वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।
पीत पवित्र पुष्पों की चादर,
मन
हर्षित करता है।
भंवरों का गुंजार ह्रदय को,
अभिमंत्रित
करता है।।
माँ शारदा दिव्य ज्ञान दे, वाणी को नव स्वर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को,
माँ भारती वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।
नव वसंत के, नयी उषा से, नया सूर्य
चमकेगा।
नवयुग के इस नवल व्योम में,नव विहंग चहकेगा।।
हे युग ऋषि नव शक्ति भक्ति दे,मन निर्मल कर दे।
बसंत पर्व पर हम शिष्यों को, माँ भारती वर दे।।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ गायत्री वर दे।
वर दे, वर दे, वर दे, माँ भारती वर दे।
-उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार