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गुरुवार, 17 जून 2021

श्रधेयद्वय को स्वर्णिम विवाहदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

 

श्रधेयद्वय को स्वर्णिम विवाहदिवस की

हार्दिक शुभकामनाएं


पुण्य  परमार्थ  मय  पूर्ण, जीवन  है  जिनका।

युग स्वयं ही लिखेगा,स्वर्णगाथा सृजन का।।


परिणय  से  नए  युग  की  शुरुआत  थी  तब।

अध्यात्म  में  नव  आयाम  की  बात  थी  तब।।

अभिनंदन  हुआ विज्ञान - धर्म के  मिलन का।

युग स्वयं ही लिखेगा,स्वर्ण गाथा सृजन का।।


माँ  भगवती   महाकाल   के  शैल  संतान  हैं।

माँ  सरस्वती   सत्य   के  प्रणव  पहचान  हैं।।

मिलन   है  प्रेम   का,  सत्य  न्याय  धर्म  का।

युग स्वयं ही लिखेगा,स्वर्णगाथा सृजन का।।


भक्ति  के  शिखर  शैल  श्रद्धा   के  अर्णव  हैं।

श्रद्देय  द्वय   हमारे   स्वयं   जीजी   प्रणव   हैं।।

स्वर्णिम  है   पल,  आप  दोनों  के  मिलन का।

युग स्वयं ही लिखेगा,स्वर्ण गाथा सृजन का।।

-उमेश यादव


पुण्यदायी होता है नाम स्मरण


पुण्यदायी होता है नाम स्मरण

पुण्यदायी होता है नाम स्मरण जिनका।

माँ भगवती स्वयं  ही माता  हैं उनका।।

स्वयं  महाकाल  की  श्रेष्ठ संतान है वो।

दीदी हैं हम सबकी,जीवन हैं,प्राण हैं वो।।

निज माता सदृश स्नेह पाया है उनका।

पुण्यदायी होता है नाम स्मरण जिनका।।

 

धर्म  विज्ञान के ज्ञान के वे अर्णव हैं।।

महाकाल रुद्राक्ष माल्य के प्रणव  हैं।

महाकाल ने जिनको चुना  स्वयं है।

जीजी के जीवन के साथी स्वयं हैं ।।

साक्षात् गुरु अंश, आशीष है गुरु  का।

पुण्यदायी होता है नाम स्मरण जिनका।।

 

सत्य  प्रेम  न्यायमूर्ति  के वे  सपूत  हैं।

माता सरस्वती के संस्कारित रक्त हैं।।

सेवा  की   दुनिया  में  स्वर्णाभूषित  हैं ।

चिकित्सा  और  विज्ञान  के अग्रदूत हैं।।

त्याग  तप  से विभूषित आभा है उनका।

पुण्यदायी होता है नाम स्मरण जिनका।।

 

गुरुवर ने द्वय को स्वयं तपाया गलाया।

मिशन के लिए उनको काबिल बनाया।।

शक्ति सामर्थ्य दे सूर्य  चन्द्र सा  बनाया ।

मिशन का गुरु ने उन्हें दायित्व थमाया।।

श्रधेय हैं जगत में,  नमन उन चरण का ।

पुण्यदायी होता है नाम स्मरण जिनका।।

-उमेश यादव