अभ्यास और जीवन
अभ्यास से मरू को उपवन बनाएंI
अभ्यास कर आओ जीवन सजाएंII
अभ्यास से कुछ कठिन रह न जाताI
नीरसता में रस की निर्झरिणी बहाताII
उसर सी भूमि में, नए गुल खिलाएंI
अभ्यास कर आओ जीवन सजाएंII
अज्ञानी अभ्यास से ज्ञान पाताI
रसरी भी पाहन पे पहचान पाताII
अभ्यास से ही सफलता को पायेंI
अभ्यास कर आओ जीवन सजाएंII
कथाएं विजय की अभ्यास का हैI
हर शोध या खोज अभ्यास का हैII
आओ निपुण हो नए लक्ष्य पायेंI
अभ्यास कर आओ जीवन सजाएंII
सफल होने का मंत्र अभ्यास ही हैI
सफल होना स्वयं का विश्वास ही हैII
अभ्यास से कुछ नया कर दिखाएँI
अभ्यास कर आओ जीवन सजाएंII
-उमेश यादव,शांतिकुंज, हरिद्वार
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