पाप ताप संताप हरो,दुःख कष्टों का अवसान करो।।
श्वेताम्बरधरा, हे वृषारूढ़ा, गौर वर्ण, माँ दुर्गा माता।
अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, अष्टवर्षा,हे जग के त्राता।।
पाप हारिणी पुण्य प्रदायिनी,अभय करो माँ प्राण भरो।
हे अम्बे, हे महागौरी माँ, भक्तों का कल्याण करो।
कठिन तपस्या से माते ने,शिवशंकर सा वर पाया था।
कर डमरू शोभित माता ने,तप करना सिखलाया था।।
चैतन्यमयी हे मातु भवानी,त्रितापों का अवसान करो।
हे अम्बे, हे महागौरी माँ, भक्तों का कल्याण करो।
शक्ति अमोघ है सदा तुम्हारी, सद्य: फलदायिनी हे माते।
अन्तः के कल्मष धो देतीं,पवित्र पुण्य दायिनी हो माते।।
हे शिवा-सुभद्रा कृपा करो अब, दुष्टों के अभिमान हरो।
हे अम्बे, हे महागौरी माँ, भक्तों का कल्याण करो।
उमेश यादव