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बुधवार, 24 अप्रैल 2024

ज्योति कलश की प्रखर रश्मियाँ

ज्योति कलश की प्रखर रश्मियाँ गुरुवर ने उद्घोष किया, जन मन में उसे बसानी है। गुरुवर के तप त्याग पुण्य की,जग में ज्योति जलानी है॥ समय आ गया महाक्रांति का, अखंडदीप के जन्म शती का। शक्तियां शक्तिपीठ की जागे, शुभ अवसर सुयोग सन्मति का॥ हर मन, हर घर, संस्थानों में, चैतन्यता पुनः जगानी है। गुरुवर के तप त्याग पुण्य की, जग में ज्योति जलानी है॥ व्यक्तिगत और समूह साधना, संस्कार यज्ञ आराधना। जन संपर्क अखंड ज्योति से, लक्ष्य प्राप्ति दैवीय योजना॥ सद्विचार घर द्वार लगे हों, श्रद्धा-विश्वास बढ़ानी है। गुरुवर के तप त्याग पुण्य की, जग में ज्योति जलानी है॥ ढूंढें, मिलें, मिशन समझाएं, आत्मीयता का भाव जगाएं। दो पग साथ साथ चलने की, उनके मन संकल्प जगाएं॥ गुणी, धनी, भाव, शक्ति संग, प्रतिभायें आगे आनी है। गुरुवर के तप त्याग पुण्य की, जग में ज्योति जलानी है॥ हर गाँव, नगर, हर घर, मोहल्ले, स्वागत की तैयारी होवे। ज्योति कलश की प्रखर रश्मियाँ,हर मन के कलुष को धोवे॥ अखंड ज्योति से ज्योतित जग में, अवतरण पर्व मनानी है। गुरुवर के तप त्याग पुण्य की, जग में ज्योति जलानी है॥ -उमेश यादव