ज्ञान रूप हे मातु शतावरी,साधक में नव प्राण भरो।
सिद्धिदात्री जय माँ दुर्गे,जन जन का कल्याण करो।।
यक्ष गन्धर्व सेवारत निशदिन,देव दनुज भी चरण पखारें।
शंख-चक्र-गदा-पंकज कर,ऋषि-मुनि-यति तव रूप निहारें।।
हे शतावरी माँ साधक में, श्रद्धा का आधान करो।
सिद्धिदात्री जय माँ दुर्गे, जन जन का कल्याण करो।।
अणिमा गरिमा महिमा लघिमा,सर्वसिद्धि के मातु प्रदाता।
सिंहासिनी कमलासिनी देवि, जगदम्बे भक्तों की माता।।
मन को शुद्ध पवित्र करो माँ, बुद्धि विवेक प्रदान करो।
सिद्धिदात्री जय माँ दुर्गे, जन जन का कल्याण करो।।
अर्धनारीश्वर शिव को तुमसे,सर्वसिद्धि वरदान मिला था।
राम भक्त हनुमन को तुमसे,अष्टसिद्धि का दान मिला था।।
प्राणी मात्र को सुखी करो माँ, बल आरोग्य प्रदान करो।
सिद्धिदात्री जय माँ दुर्गे, जन जन का कल्याण करो।।
उमेश यादव
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